बारह भावना ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न
बारह भावना ऑनलाइन संगोष्ठी संपन्न जयपुर (राज.) : सर्वोदय अहिंसा ट्रस्ट, जयपुर द्वारा दिनांक 12 से 18 अक्टूबर तक विदुषी बहनों द्वारा बारह भावना संगोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन हुआ, जिसमें देशभर की 40 विदुषी बहनों ने भाग लिया। प्रथम दिन प्रो. सुदीपजी दिल्ली के मार्मिक व्याख्यान का लाभ मिलाइसके अतिरिक्त विदु…
22वाँ आध्यात्मिक शिक्षण-शिविर सम्पन्न
22वाँ आध्यात्मिक शिक्षण-शिविर सम्पन्न शिविर में श्री टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर के 194, आचार्य अकलंक दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय बांसवाड़ा के 45. आचार्य धरसेन दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय कोटा के 47 एवं शाश्वतधाम उदयपुर के 26 - इसप्रकार कल 312 विद्यार्थियों न…
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आखिर हम करें क्या? (8)
___ यदि अनादि से सुनिश्चित नहीं होता तो आदिनाथ यह कैसे बता सकते थे कि यह मारीचि एक कोड़ाकोढ़ी सागर बाद चौबीसवाँ तीर्थंकर महावीर होगा तथा एक भव पहले सोलहवें स्वर्ग में रहते हुये उन्होंने मनुष्य आयुकर्म का बंध किया ही था। पर इनमें परस्पर विरोध नहीं है; क्योंकि हमारी आगामी आयुकर्म का बंध उसी के अनुसार…
# पाठशाला पढ़ना Cool है!
# पाठशाला पढ़ना Cool है! जयपुर (राज.): यहाँ टोडरमल स्मारक भवन में दिनांक 7 अप्रैल को अहँ पाठशाला का दिशा-निर्देश कार्यक्रम रखा गया, जिसके अन्तर्गत विभिन्न विद्वानों ने पाठशाला के विषय में अपने भाव अभिव्यक्त किये एवं पाठशाला के संचालकों द्वारा कुछ दिशानिर्देश दिये गये। इस अवसर पर पाठशाला के सह-निर्द…
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आखिर हम करें क्या? (4)
(गतांक से आगे...)       ऐसे अनेक लोग हमारे पास आते हैं। उनमें कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आत्मानुभूति नहीं होने पर भी घोषित कर देते हैं कि मुझे (उन्हें) आत्मानुभूति हो गई है। दश-पाँच लोग उनके चक्कर में आ जाते हैं। उनका एक गुट बन जाता है और उनकी दुकान चलने लगती है।       उन्हें न तो आत्मा का सही स्व…
आखिर हम करें क्या? (3)
इनमें भी मुख्यरूप से सम्यग्दर्शन की प्राप्ति के लिये या सम्यग्दर्शन प्राप्त होने के बाद चौथे-पाँचवें गुणस्थान में होनेवाले आत्मोन्मुखी भावों को आत्मानुभूति या आत्मानुभव नाम से अभिहित किया जाता है और भावलिंगी सन्तों को प्रत्येक अन्तर्मुहूर्त में होनेवाले आत्मोन्मुखी अन्तर्लीन भावों को शुद्ध…