# पाठशाला पढ़ना Cool है!

# पाठशाला पढ़ना Cool है!


जयपुर (राज.): यहाँ टोडरमल स्मारक भवन में दिनांक 7 अप्रैल को अहँ पाठशाला का दिशा-निर्देश कार्यक्रम रखा गया, जिसके अन्तर्गत विभिन्न विद्वानों ने पाठशाला के विषय में अपने भाव अभिव्यक्त किये एवं पाठशाला के संचालकों द्वारा कुछ दिशानिर्देश दिये गये। इस अवसर पर पाठशाला के सह-निर्देशक पण्डित पीयूषजी शास्त्री ने पाठशाला को मन की शांति देने वाला बताया; पण्डित सर्वज्ञजी भारिल्ल ने पाठशाला को दुःख दूर करने व सुखी होने का मार्ग बताया; पाठशाला के समन्वयक (co-ordinator) आकाशजी शास्त्री द्वारा अहँ पाठशाला का परिचय तथा इंचार्ज जिनेन्द्रजी शास्त्री द्वारा कोर्स की जानकारी दी गई। इसके अतिरिक्त मराठी भाषा में संयमजी देशमाने, कन्नड भाषा में आकाशजी हलाज, गुजराती भाषा | में पलजी त्रिवेदी, तमिल भाषा में जगदीशन शास्त्री तथा अंग्रेजी भाषा में आयुषजी जैन द्वारा अहँ पाठशाला का परिचय दिया गया। सभी छात्रों को निर्देश अनेकान्तजी शास्त्री द्वारा दिया गया। प्रसिद्ध तार्किक विद्वान एवं सहस्राधिक विद्वानों के पितामह डॉ. हकमचंदजी भारिल्ल ने अपने उद्बोधन में कहा कि अहँ पाठशाला को जातिवाद, धर्मवाद से दूर रखकर प्रत्येक जीव के दुःखों को दूर करने व सुखी होने के उद्देश्य से प्रारम्भ किया गया है। पाठशाला के निर्देशक पण्डित शुद्धात्मप्रकाशजी भारिल्ल ने बताया कि माता-पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार का बीजारोपण करने हेतु एवं उनके सुनहरे भविष्य के लिये अहँ पाठशाला में कभी भी व कहीं भी प्रवेश दिला सकते हैं। यह तत्त्वप्रचार के क्षेत्र में एक सराहनीय कदम है। पाठशाला के निर्देशक डॉ. संजीवकुमारजी गोधा ने पाठशाला की पूरी टीम (कु. प्रतीति पाटील, अर्पित शास्त्री, आकाश शास्त्री, जिनेन्द्र शास्त्री, जिनकुमार शास्त्री, सुदीप शास्त्री, अनेकान्त शास्त्री, विनीत शास्त्री, आकाश शास्त्री हलाज) की प्रशंसा की। कार्यक्रम का संचालन पाठशाला के कार्यकारी अधिकारी। (Executive) अर्पितजी शास्त्री ने किया।