22वाँ आध्यात्मिक शिक्षण-शिविर सम्पन्न शिविर में श्री टोडरमल दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय जयपुर के 194, आचार्य अकलंक दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय बांसवाड़ा के 45. आचार्य धरसेन दिगम्बर जैन सिद्धान्त महाविद्यालय कोटा के 47 एवं शाश्वतधाम उदयपुर के 26 - इसप्रकार कल 312 विद्यार्थियों ने देश के कोनेकोने से पधारे 22 विद्वानों के माध्यम से जैनदर्शन के 22 सैद्धान्तिक विषयों का गहराई से अध्ययन किया
____ जयपुर (राज.) : पण्डित टोडरमल सर्वोदय ट्रस्ट द्वारा ज्ञानतीर्थ श्री टोडरमल स्मारक भवन में दिनांक 13 से 20 अक्टूबर तक जिनागम के 22 विषयों का व्यवस्थित अध्ययन कराने वाला 22वाँ आध्यात्मिक शिक्षण शिविर अनेक मांगलिक आयोजनों सहित संपन्न हुआ। प्रवचन - शिविर में प्रतिदिन प्रात:काल पूज्य गुरुदेवश्री के सी.डी. प्रवचनों के पश्चात् ख्यातिप्राप्त तार्किक विद्वान डॉ. हुकमचंदजी भारिल्ल द्वारा 'तत्त्वचिंतन' विषय पर मार्मिक प्रवचन हुये । रात्रिकालीन प्रवचनों में प्रतिदिन ब्र. सुमतप्रकाशजी खनियांधाना द्वारा 'पंचाध्यायी के नय' विषय पर हुये प्रवचनों के पूर्व पण्डित अभयकुमारजी शास्त्री देवलाली, डॉ. वीरसागरजी शास्त्री दिल्ली, डॉ. दीपकजी जैन वैद्य' जयपुर, पण्डित शुद्धात्मप्रकाशजी भारिल्ल जयपुर, पण्डित कमलचंदजी पिड़ावा, पण्डित धर्मेन्द्रजी शास्त्री कोटा, डॉ. प्रवीणजी शास्त्री बांसवाड़ा के व्याख्यानों का लाभ मिला। शिक्षण कक्षायें - ब्र. सुमतप्रकाशजी खनियांधाना द्वारा सामान्य श्रावकाचार, पण्डित अभयकुमारजी शास्त्री देवलाली द्वारा प्रवचनसार (ज्ञानाधिकार) व मोक्षमार्गप्रकाशक (सात तत्त्व संबंधी भूल), डॉ. वीरसागरजी शास्त्री दिल्ली द्वारा सर्वज्ञसिद्धि व न्यायदीपिका, पण्डित शांतिकुमारजी पाटील जयपुर द्वारा प्रमाण का प्रामाण्य व समयसार में उपयोग की चर्चा, डॉ. संजीवकुमारजी गोधा जयपुर द्वारा नैगमादि सप्त नय व तीन लोक, डॉ. नरेन्द्रकुमारजी शास्त्री जयपुर द्वारा प्रमाण का विषय व फल तथा क्रमबद्धपर्याय, डॉ. योगेशजी शास्त्री अलीगंज द्वारा परीक्षामुख व सप्तभंगी, पण्डित धर्मेन्द्रजी शास्त्री कोटा द्वारा द्रव्यसंग्रह एवं मिथ्याचारित्र का स्वरूप, पण्डित प्रवीणजी शास्त्री बांसवाड़ा द्वारा 14 गुणस्थान व कर्मसिद्धांत, पण्डित जिनकुमारजी शास्त्री द्वारा समाधि और सल्लेखना, पण्डित अच्युतकांतजी शास्त्री जयपुर द्वारा निमित्त-उपादान, पण्डित चर्चितजी शास्त्री द्वारा देवशास्त्र-गुरु का स्वरूप विषय पर कक्षाओं का लाभ मिला। पूजन विधान - प्रात:काल नित्य-नियम पूजन के साथ-साथ श्री नियमसार विधान एवं सायंकाल जिनेन्द-भक्ति का आयोजन किया गयाविधि-विधान के समस्त कार्य डॉ. शांतिकमारजी पाटील के निर्देशन में पण्डित जिनेन्द्रजी शास्त्री व पण्डित रूपेन्द्रजी शास्त्री द्वारा आयुष शास्त्री, सहज शास्त्री एवं संयम देशमाने के सहयोग से संपन्न हुये। विधान के आमंत्रणकर्ता श्रीमती शकुन्तला धर्मपत्नी डॉ. के.एल. जैन एवं पुत्रपुत्रवधु विक्रान्त-रेशू जैन, जयपुर थे। प्रात: 5.30 बजे पण्डित कमलचंदजी पिड़ावा, पण्डित सिद्धार्थजी दोशी रतलाम एवं पण्डित निखिलजी शास्त्री मुम्बई की प्रौढ कक्षा के पश्चात् जिनवाणी चैनल पर डॉ.भारिल्ल के प्रवचनों का प्रसारण प्रवचन हॉल में ही बड़े पर्दे पर किया जाता था। शिविर में 22 विद्वानों के माध्यम से लगभग 500 साधर्मियों ने प्रतिदिन 16 घंटे तक चलने वाले तत्त्वज्ञान के कार्यक्रमों का लाभ लिया। इस अवसर पर हजारों घंटों के सी.डी./डी.वी.डी. प्रवचन तथा हजारों रुपयों का सत्साहित्य घर-घर पहुंचा।